प्रश्न: आर्थ्राइटिस क्या होता है व कितने प्रकार के होते हैं?
किसी जोड़ में सूजन, दर्द व जकड़न को आर्थ्राइटिस यानी ‘गठिया’ कहते हैं ।
आर्थ्राइटिस को आसानी से समझने के लिए हम इसे दो श्रेणीयों में बाँटते हैं। पहली ऑस्टियो आर्थ्राइटिस जिसमें बड़ती उम्र के साथ जोड़ के अंदर मुलायम गद्दी, जिसे कार्टिलिज कहते हैं, घिस जाती है। दूसरी रूमेंटिज़म आर्थ्राइटिस या बाय वाली गठिया कहते हैं। इसके होने के पीछे कई प्रकार की गम्भीर ऑटोइम्यून बीमारीयाँ होती हैं जिन्हें हम “रूमैटिक डिज़ीज़ेज़’ कहते हैं।
प्रश्न: आर्थ्राइटिस के लक्षण क्या होते हैं? किन लक्षणों के होने पर विशेषज्ञ की राय लें ?
रूमटॉड आर्थ्राइटिस (गठिया बाय), खासतोर पर हाथ व पेरों के छोटे जोड़ों को ज़्यादा प्रभावित करती है। इस गठिया में हाथ व पेरों के छोटे जोड़ों में दर्द व सूजन होना, जोड़ों के दबाने पर दर्द का महसूस होना, जोड़ों में सुबह उठने पर आधे से एक घंटे की अकड़न या जकड़न का रहना, शुरुआती लक्षणो में आते हैं। किसी भी जोड़ में सूजन व दर्द के होने पर, व युवाओं में सुबह के कमर दर्द के महसूस होने पर तुरंत विशेषज्ञ को दिखाएँ - यह किसी गठिया के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं
प्रश्न: गठिया में शुरुआती लक्षणों में ही उपचार करने से क्या फ़ायदा होता है?
गठिया को शुरुआती लक्षणों पर ही पहचान कर उपयुक्त उपचार प्रदान कर गठिया को जल्द से जल्द नियंत्रित कर सकते हैं और जोड़ों में टेड़ापन व महत्वपूर्ण आंतरिक आंगों पर इस गठिया के दुशप्रभाफ पड़ने से रोक सकते हैं। समय पर व उपयुक्त इलाज ना होने पर जोड़ों में टेड़ापन व आंतरिक आंगों पर बुरा असर पड़ने की सम्भावनाएँ बड़ जाती हैं।
प्रश्न: रूहमेटिज़म गठिया रोग से कौन कौन प्रभावित हो सकते है?
बाय या रूहमेटिज़म आमतोर पर युवा वर्ग व बच्चों को प्रभावित करती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएँ में गठिया होने की सम्भावनाएँ तीन गुना ज़्यादा रहती है। बच्चों में गठिया को जुवेनाइल आर्थ्राइटिस कहते हैं। ओस्टीयोआर्थ्राइटिस एक बड़ती उम्र की गठिया है इसलिए यह बुज़ुर्ग लोगों को प्रभावित करती है।
प्रश्न: आर्थ्राइटिस होने के क्या कारण होते हैं?
ओस्टीयोआर्थ्राइटिस होने का तीन सबसे बड़े कारणों में - बड़ती उम्र, बड़ता वज़न, व जोड़ों का चोटिल होना है।
गठिया बाय के होने में अनुवांशिकता, पर्यावरण प्रदूषण, व धूम्रपान सबसे बड़े कारण हैं।
प्रश्न: प्रमुख बाय वाली गठिया के नाम व लक्षण क्या होते हैं?
रूमटॉड आर्थ्राइटिस (हाथ, कलाई, पेर के जोड़ों में दर्द व सूजन का होना), एँकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस (सुबह उठने पर कमर में दर्द का होना), ल्यूपस (एस ऐल ली), सोरियेटिक आर्थ्राइटिस (चमड़ी के रोग सोरियेसीस के मरीज़ों में जोड़ों का दर्द व सूजन), गाउट (ख़ून में युरिक ऐसिड के बदने के कारण जोड़ों में दर्द व सूजन), स्कलेरोडेर्मा (चमड़ी में केदपन, ठंड में उँगलियों का सफ़ेद या नीला होना), वेस्कुलाईटिस (गैंगरीन)।
प्रश्न: गठिया के इलाज के लिए कौन कौन से इलाज उपलब्ध हैं?
गठिया के मरीज़ दर्द निवारक गोलियों का सेवन करते हैं जिससे की सिर्फ़ दर्द में आराम आता है पर बीमारी पर कोई असर नहीं होता। गठिया के इलाज के लिए डिज़ीज़ मॉडिफ़ायइंग दवाइयाँ उपलब्ध हैं जिनमे गठिया को ठीक करने की ताक़त होती है। जोड़ों में सूजन, गठिया में दर्द होने का प्रमुख कारण होता है, और डिज़ीज़ मॉडिफ़ायइंग एंटी रूमैटिक दवाइयाँ इस सूजन को ख़त्म करती हैं मरीज़ को दर्द निवारक दवाइयों की ज़रूरत नहीं पड़ती। डिज़ीज़ मॉडिफ़ायइंग एंटी रूमैटिक दवाइयाँ से गठिया को शुरुआत में ही नियंत्रण कर जोड़ों में होने वाले नुक़सान से बचा जा सकता है। दो तरह की डिज़ीज़ मॉडिफ़ायइंग एंटी रूमैटिक दवाइयाँ बाज़ार में उपलब्ध है - पारम्परिक डिज़ीज़ मॉडिफ़ायइंग एंटी रूमैटिक दवाइयाँ
व नयी बायोलॉजिक डिज़ीज़ मॉडिफ़ायइंग एंटी रूमैटिक दवाइयाँ
प्रश्न: बायोलॉजिक दवाइयाँ क्या हैं व इनका गठिया के इलाज में क्या भूमिका है?
बायोलॉजिक दवाइयाँ, एक प्रकार की नयी दवाइयाँ हैं जो गठिया के इलाज के लिए दी जाती हैं । बायोलॉजिक दवाइयाँ - उन हानिकारक इन्फ़्लैमटॉरी केमिकल्ज़ को बाँध कर निष्क्रिय कर देती हैं - जो केमिकल्ज़, जोड़ों व अन्य अँगो पर बुरा असर करते हैं।
आमतोर पर गठिया के इलाज में प्रयोग होने वाली दवाइयों में पारम्परिक डिज़ीज़ मॉडिफ़ायइंग एंटी रूमैटिक दवाइयाँ होती हैं जिन मरीज़ में इनके उपयोग के बावजूद गठिया का दर्द व सूजन ठीक नहीं होता, या यह दवाएँ लेने से मरीज़ को तकलीफ़ हो रही हो, या इन दवाओं का इस्तेमाल मरीज़ में किसी कारण से नहीं उपयोग कर सकते तो rheumatologist की सलाह से इन बायोलॉजिक दवाइयाँ का उपयोग किया जा सकता है। बायोलॉजिक डिज़ीज़ मॉडिफ़ायइंग एंटी रूमैटिक दवाइयाँ का असर तुरंत, व प्रभावशाली होता है, व गठिया से होने वाले बुरे असर जैसे जोड़ों में टेड़ापन होने की सम्भावनाएँ बहुत ही कम हो जाती हैं