
एंकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस - एक प्रकार की गठिया है जिसमें रीड़ की हड्डी के जोड़ों में सूजन व दर्द होता है! इसे कमर की गठिया भी कहा जाता है
यह गठिया आमतोर पर युवा पुरुषों को ज़्यादा प्रभावित करती है
इस के होने का कारण अनुवंशिक है जिसमें HLA B 27 नामक जीन (gene) का शरीर में होना इस गठिया के होने का कारण बनता है! यह gene प्रमुखताया सिगरेट व बिड़ी के धुएँ से जागरत होता है व शरीर के जोड़ों में सूजन पैदा करता है
एंकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस - स्पोंड़्यलोआर्थ्राइटिस ग्रूप में आती है जिसमें शरीर के रीड़ की हड्डी के जोड़ों में सूजन आ जाता है व प्रारम्भिक लक्षण में ही इलाज ना करने से जोड़ों की सूजन, हड्डी में बदल जाती है व उस जोड़ में movement ख़त्म हो जाता है इसलिए इसके प्रारम्भिक लक्षणो से पहचान कर जल्दी इलाज से इस समस्या से बचा जा सकता है
एंकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस - के प्रारम्भिक लक्षण हैं
युवा व्यक्ति की उम्र चालीस वर्ष से कम का होना
कमर में दर्द का होना, दर्द का धीरे धीरे कुछ दिनो में बड़ना, कमर दर्द का एकदम से ना आना
कमर दर्द का सवेरे उठने पर सबसे ज़्यादा होना व हल्के व्यायाम से कमर दर्द में आराम आना
कुल्हे में दर्द का होना - कभी एक कुल्हे में कभी दूसरे कुल्हे में दर्द का होना
रात में करवट लेने में दर्द होना, व आधी रात्रि में कमर दर्द के कारण नींद से उठ जाना
एंकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस के अन्य अंगों पर प्रभाव
यह गठिया रीड़ की हड्डी के जोड़ के अलावा, अन्य जोड़ों को भी प्रभावित कर सकती है - जैसे घुटने व टखने में सूजन व दर्द का होना ! गर्दन की रीड़ हड्डी के जोड़ों को भी यह गठिया प्रभावित कर सकती है, जिसके कारण जकड़न व दर्द का महसूस होना होता है! आँखो पर भी इस गठिया का दूष्प्रभाव पड़ता है - इसमें Uveitis नामक आँखो का रोग होता है जिसमें एक आँख में सूजन आना, आँख का लाल हो जाना व उसमें दर्द होना! छाती की पसलियों के जोड़ों में सूजन से छीकने व खासने से पसलियों में व छाती में दर्द होना भी इस गठिया में देखने को मिलता है!
एंकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस को जल्द पहचान ने के क्या साधन हैं
शुरुआती लक्षणो में rheumatologist को दिखाएँ व अगर उन्हें इस बीमारी के होने का शक हो तो वह कुल्हे के जोड़ का MRI से बहुत जल्दी इस रोग के होने का प्रमाण देख सकते हैं! HLA B 27 के जाँच से भी इस बीमारी को शुरुआत में ही पहचाना जा सकता है
एंकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस का इलाज सम्भव है?
अत्याधुनिक दवाइयाँ जिसमें NSAID व Anti TNF दवाइयों से इस बीमारी को शुरुआती समय में ही इलाज किया जाता है! नियमित व्यायाम से इस रोग में कमी आ सकती है व शरीर में विक्रतियाँ होना से रोका जा सकता है। बैड्मिंटन व तेराकी जैसे खेल व्यायाम इस गठिया में फ़ायदा करते हैं
धूम्रपान व एंकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस
धूम्रपान का इस गठिया पर दूष्प्रभाव पड़ता है - जो एंकायलोसिंग सपोंड्यलिटिस के मरीज़ धूम्रपान करते हैं उनमें यह बीमारी बहुत तकलीफ़ पैदा करती है, दैनिक दिनचर्या में तकलीफ़ होती है, गुणवत्तापूर्वक जीवन यापन करने में दिक़्क़त होती है, बीमारी तेज़ी से बड़ती है व शरीर के जोड़ों में दूष्प्रभाव दिखाती है ! जो मरीज़ धूम्रपान नहीं करते हैं व छोड़ देते हैं उन्मे दवाइयों का असर अच्छा देखने को मिलता है व जोड़ों में दूष्प्रभाव की सम्भावनाएँ कम हो जाती हैं!
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